
ज्योतिष की बारह राशियों में से वृष राशि भी एक है , जिसका एक विषद विवरण आपके सामने यहाँ प्रस्तुत है.
किसी व्यक्ति विशेष की जन्म कुंडली में वृष राशी किस स्थान में है, उस भाव में कौन सा ग्रह है, इस राशि का का स्वामी कौन सा ग्रह है, इस राशी का स्वामी किस भाव में स्थित है तथा अन्य कौन से ग्रह इस भाव को देख रहे है. इन सभी बातो का विचार करने के बाद निष्कर्ष निकाला जाता है की वृष राशी का व्यक्ति पर क्या प्रभाव पढ़ेगा?अत यहाँ स्थित विवरण को पढ़ कर किसी निष्कर्ष पर ना पहुंचे .
हर राशि का अध्ययन पृथक रूप से करना होता है. वृष राशि के कुछ सामान्य गुणों को वर्गीकृत कर हम समझ सकते है की क्यों हर राशि अपने आप में क्यों कुछ विशेषता लिए हुए है ।वृष राशि का स्थान
पशुशाला , साज सामान की दूकान, साफ़ सुथरी जमीन,तहखाना,कन्या विद्यालय ,उच्च न्यायालय
उत्पादन – सफ़ेद फूल,मिटटी के बर्तन,फल, पोशाक, वाद्य यंत्र , रत्न, भोग-विलास की सामग्री, प्रसाधन की वस्तुए, आभूषण, घडिय,टोपिया ,जूते, चमड़े का सामान
व्यक्ति — खान मजदूर, कुम्हार ज्योतिषी, शाषक,धनवान आदमी, पोधा, घर का मालिक, महाजन, जिल्दसाज,दरजी, रसायन शास्त्री, बीमा एजेंट ,खजांची,कृषक ,योगी, चालक , प्रशासक, संगीतग्य शिल्पकार, फिल्म कलाकार, माली, फूल विक्रेता,शीशा, प्लास्टिक,चावल,पशु, दूध,आइसक्रीम , सब्जियापेट्रोल,चीनी के व्यापारी,
वृष राशि का विवरण
ज्योतिष शास्त्र की यह दूसरी राशी है जो 30 डिग्री से 60 डिग्री के मध्य स्थित है. यह राशी पृथ्वी गुण की प्रधानता, स्थिर स्वाभाव की व् स्त्रियोचित व्यवहार करती है. इस राशी में स्थित होने पर चंद्रमा उच्च स्थिति में आ जाता है. सूर्य के लिए यह शत्रु स्थान है.बुध और शनि के लिए ये मित्र स्थान है. मंगल व् गुरु के लिए ये सम स्थान है.
कृतिका नक्षत्र के दिवतीय तृतीय, व् चतुर्थ चरण, और रोहिणी नक्षत्र के चारो चरण तथा मृगशिरा नक्षत्र का प्रथम चरण व् दिव्तीय चरण वृष राशी के अंतर्गत आते है. इस राशी का स्वामी शुक्र होता है और कोई भी ग्रह इसमें नीच नहीं होता है. इस राशि का चिन्ह बैल (BULL) होता है.
शारीरिक गठन
वृष राशी स्वामी शुक्र के कारन शारीर मोटा व् भरी होता है, पाँच साढ़े पांच फुट का नाटा सा शरीर वाला होता है,कंधे चौड़े व् मजबूत मांसपेशियां चेहरा व् आँखे सुन्दर बड़े कान होते है.
मनोवृत्ति.
वृष राशि वाले हठ व् घमंड के साथ महत्वकंशा रखने वाला होते है . परन्तु साथ ही मित्रो व् परिचितों के प्रति प्यार व् सहृदयता की प्रवृत्ति भी रखते है. कभी कभी अपनी बात पर अड़ियल रहने की प्रवृत्ति भी होती है.
सामान्य चरित्र
पृथ्वी तत्व व् आचार गुणों के कारण वृष राशी में धेर्य की प्रमुखता है. तथा परिणाम मिले न मिले इस आशा के बगैर धेर्य पूर्वक काम करने की क्षमता है. परन्तु यदि बिना बात उत्तेजित किया जाएगा तो अपने चिन्ह वृष के समान प्रति दवान्द्वी से बदला लेने की इच्छा भी प्रबल हो जाती है.
वृष के सामान इनकी शारीरिक क्षमता पर्याप्त है. अत भले देखने में इन व्यक्तियों में उतनी शारीरिक क्षमता पर्याप्त ना लगे परन्तु इनके शारीर में गुप्त शक्ति अवश्य होती है. गुप्त शारीरिक शक्ति रोगों के विरुद्ध लड़ने की क्षमता देती है.
वृष राशी वाले शारीरिक सुख की इच्छा रखने वाले होते है तथा अच्छे भोजन तथा मिष्ठान्न के प्रति रूचि रखने वाले होते है. निरंता आर्थिक स्थिति सुधारते रहने अर्थात धन कमाने की इच्छा रखने वाले होते है. साथ ही अपने सुख के लिए खर्च भी खूब करते है.
ये अपने घर को सुरुचिपूर्ण तथा व्यवस्थित रखने वाले होते है. तथा यदि पारिवारक सदस्य इस कार्य में सहयोग नहीं करेंगे तो उनसे सम्बन्ध में मधुरता भी नहीं रखते है. मित्रो के बीच बातचीत की विशेष रुच रहेगी.
यद्यपि इनका स्वास्थ्य अच्चा रहता है.परन्तु यदि ये अस्वस्थ होते है तो इन्हें टांसिल व् गले के अन्य बीमारी की सम्भावना रहती है. चालीस वर्ष की आयु के बाद कब्ज व् इससे सम्बंधित रोगों की सम्भावना रहती है.
