
मगर मच्छ जैसी आकृति वाली राशि होती है मकर राशि.काल पुरुष की शरीर में दोनों घुटनों में इसका स्थान् माना गया है.
मकर राशि चर स्वाभाव वाली होती है.ये एक स्त्री राशि होती है, वात प्रकृति वाली होती है. पृथ्वी तत्व , रात्रि बलि,श्याम वर्ण वाली,और दक्षिण दिशा की स्वामिनी होती है. इस राशि का स्वामी शनि ग्रह होता है. शनि को ज्योतिष में नौकर की संज्ञा मिले हुई है. इससे माना जाता है की ये एक कर्तव्य परायण राशि है और उच्च अभिलाषी होती है. http://ज्योतिष में कितने सब्जेक्ट?
ज्योतिष चक्र की दसवी राशि मकर का राशि मंडल में 270 डिग्री से 300 डिग्री के मध्य में स्थान निश्चित है.270 डिग्री पर आने पर सूर्य दक्षिण दिशा में दूर चला जाता है. इसी कारण भूमध्य रेखा से उत्तर के देशो में शीत ऋतू का मौसम होता है.इसके बाद सूर्य पुनः उत्तर दिशा की यात्रा पर लोटने लगता है. इसी वजह से जब सूर्य 270 डिग्री पर होता है तो मकर संक्रांति का पर्व भारत में मनाया जाता है.
ऐसे समय में जब दक्षिण देशो के लिए आधा दिन हो चूका होता है तो उत्तरी देशो के लिए मध्य रात्रि का समय होता है. मकर राशि चर प्रकृति ,स्त्री स्वभाव, पृथ्वी गुण वाली राशि है. मकर राशि का स्वामी शनि ग्रह होता है, इस राशि में मंगल उच्च प्रभाव प्राप्त करता है. लेकिन गुरु की स्थिति इस राशि में नीच की हो जाती है. सूर्य व् चंद्रमा के लिए ये शत्रु स्थान है तो शुक्र और बुध के लिए ये एक मित्र स्थान है. उलझन की सुलझन
उत्तरा शाड नक्षत्र के दुसरे, तीसरे व् चतुर्थ चरण, श्रवण नक्षत्र के चारो चरण, और धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम व् द्वितीय चरण मकर राशि के अंतर्गत आते है और इस राशि का पहचान चिंह भी मकर (मगर मच्छ) ही होता है.
शारीरिक गठन
इस राशि वालो का शरीर बचपन में तो कमजोर दुबला पतला रहता है लेकिन पन्द्रह – सोलहे वर्ष की उम्र के बाद ये लोग अच्छे खासे ह्रस्ट पुष्ट हो जाते है. बाद में लम्बा चोडा शरीर , बड़ा चेहरा, व् सख्त बाल हो जाते है.

मनोवृत्ति
मनोहारी , दयालुता, सहृदयता ,सहानुभूति पूर्ण होने के साथ साथ चालाकी का भी गुण लिए हुए होते है.साहसी , दुःख सुख में दृढ रहने वाले होते है.कार्य पूर्ण करने को लेकर दृढ इच्छा शक्ति वाले होते है. सम भाव से रहते है.
सामान्य चारित्रिक गुण http://मैत्री चक्रों का परिचय
किसी भी परिस्थिति में खुद को ढलने की शक्ति इनमे होती है.परिवार में खर्चो के प्रति कंजूस नहीं होते है. कुछ – कुछ दार्शनिक किस्म के होते है, ऐसे लोग सफल लेखक या प्राध्यापक बन जाते है.ऐसे व्यक्ति औरो के साथ घुलने मिलने में समय लगाते है लेकिन एक बार मित्र बन जाने के बाद सम्बन्ध बने रहते है.
मानवीय संवेदनाओ के प्रति संवेदन शील होने के कारण अन्य लोगो में इनके प्रति भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है. भावाभिव्यक्ति को भली प्रकार से प्रकट करने वाले होते है. सामान्यत शांत किस्म के व्यक्ति होते है लेकिन यदि कोई उक्सायगा तो उग्र हो जाते है.
पारिवारीक जीवन के प्रति समर्पित अपने जीवन साथ के प्रति प्रेम पूर्ण होते है.विभिन्न बिन्डुओ पर अपने नैतिक विचार खुल कर प्रस्तुत करते है.जिस काम को ये उचित समझते है उसे ये अनैतिक होते हुए भी नियम विरुद्ध जा कर कर देते है.
रहन सहन के बार में व् कपड़े आदि पहनने के बारे में ये लोग प्रथा या फेशन के विरुद्ध आचरण करते है यानि ये परम्परावादी होते है. इन लोगो में प्रत्यक्ष बोध की शक्ति होती है अत ये ज्योतिषी चिकित्सक , संगीत प्रेमी या अध्यापक हो सकते है.
इन लोगो को सर्दी ठण्ड से विशेष बचाओ रखना चाहिए. ठण्ड से लगने वाली बिमारिया इनहे परेशान करती है. इन लोगो को थकान जल्दी चढ़ जाती है अत ये ज्यादा परिश्रम के कार्यो के योग्य नहीं होते है. चिंता व् थकान के कारण पाचन तंत्र भी ख़राब हो सकता है.