
नक्षत्र परिचय के अंतर्गत उनका दशा में,गोचर में,जन्म कुन्डली में क्या प्रयोग है को यहाँ स्पष्ट किया गया है ?
नक्षत्र परिचय
नक्षत्र भारतीय पंचांग का तीसरा अंग है. यथा तिथि वार नक्षत्र योग तथा करन. संस्कृत में उक्ति है "जिसका नाश नहीं होता वेह नक्षत्र है. नक्षत्र हमेशा अपने स्थान पर ही रहते है.जबकि ग्रह नक्षत्रो में संचार करते है. नक्षत्रो की संख्या प्राचीन काल में 24 थी अब 27 है. राशियों के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए नक्षत्रो के सामान विभाग किये गए जिसे 13अंश 20 कला का एक नक्षत्र होता है. लेकिन आकाश में इनका वितरण सामान नहीं है इसी कारण चंद्रमा की की गति हर नक्षत्र में आसमान होती है. इसलिए नक्षत्रो का विभाजन मुहूर्तो में भी किया जाता है. कोई कुहुर्ट 15 कोई ३० घटी का होता है.एक मुहूर्त का मान 48 मिनट का होता है.
नक्षत्रो को English में कांस्तेलेषण constellations कहते है.
नक्षत्रो से राशि नामाक्षर का ज्ञान
इसे समझाने के लिए हमें टेबल देनी होगी जिससे आपको समझ आएगा कि राशि, नक्षत्र, नाम के नामाक्षर कैसे रखे जाते हैं।
दोस्तों हमें यह तो पता ही है कि राशियां बारह होती हैं और नक्षत्र 27 होते हैं। लेकिन नक्षत्रों के आधार पर जो नाम रखे जातें हैं वे चरण के हिसाब से एक नामाक्षर ही निश्चित किया जाता हैं। जिससे पता चलता है कि फलां व्यक्ति का जन्म तथाकथित नक्षत्र के फलां चरण में हुआ था।
यदि हमें अपने जन्म का नामा़क्षर ही पता हैं तो यह आसानी से पता लग जाता हैं कि हमारा जन्म किस राशि किस नक्षत्र के किस चरण में हुआ था। यदि हमें केवल राशि ही पता हो तो इससे बात नहीं बनने वाली है, क्योंकि राशि तो 30 अंश की होती है और एक नक्षत्र 13 अंश 20 कला का होता है और एक चरण 3 अंश 20 कला का होता है।
इस लिए हर नक्षत्र के चरण को एक नाम दे कर नामांकित किया जाता है। राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं। एक ऩक्षत्र में चार चरण होते हैं तो सवा दो नक्षत्र में 9 चरण हुए। इस तरह एक राशि 9 चरणों यानि नौं नामाक्षरों की होती है। तो अब हम आपको दिखाते हैं कि किस तरह राशि नक्षत्र और उनके नामाक्षरों का बंटवारा होता है।